Take your time, look around and learn all there is to know about us.
Hello!
Teacher_Author is one such opportunity inviting primary school teachers from across the globe to gain understanding around the 'Nature and Pedagogy of Language!
We understand that teachers have direct access to the Cognitive- Social- Emotional- Cultural resource that the learner brings in to classrooms. It is around this resource that teachers are encouraged to create the best reading mat
It has been fortunate and crazy to have journeyed with more than 200 Teacher_Authors (11 organisations included) from across the country and borders, scripting Critical, Contextual and Comprehensive children's Literature in indian languages and dialects!
We do not see ourselves stopping anytime soon, so would you like to script with us?
Come Teacher! Here's a call to the writer in you!
Get scripty in the language of your students and create Critical-Contextual-Comprehensive-Children's Literature!
बुल्लू भैया
देखो बुल्लू भैया हमारे
दरवाजे पर आएँ हैं
खट - खट- खट खाना मांगे
हम फ़्रैश भूसा खिलाएँ हैं!
भूसा खाकर पेट फुला कर
फुर्र-फुर्र दुम हिलाएँ हैं
टक-टक-टक-टक घूम घाम कर
गर्र से वो डकराएँ हैं!
उछल-उछल अब बुल्लू भैया
सोने चले जाएंगे
कल सवेरे फिर से वो
भूसा खाने आ जाएंगे!
मन मौजी भैंसा
सबका सोमवार है
इसका इतवार
पूँछ के है बाल झाड़े
देख लो एक बार !
खुर को चटकाया है
सींग को अटकाया है
नैनों को मींच
देखो स्माइल में छिपा प्यार !
दुम को संवारा है
ये ना आवारा है
मन में चिटकारे लिए
चले है बाज़ार!
मुर्रा मुर्रा भैंस
खट-खट-खट-खट-खट खुर्रा
हट-हट-हट-हट-हट हुर्रा !
बाबा घर संग ले आए
एक भैंस मुर्रा-मुर्रा
अकड़े तो मानो ऐसे,
काली पगड़ी का तुर्रा
सींग तो ऐसे लागे
जैसे हंसिया सा बुर्रा
तुनक-तुनक यूँ चाले
जैसे पिया हो सुर्रा
रंभायें तो ऐसे देखो
जैसे शोर कर्रम-कुर्रा
डां-डां-डां-डां डकारे
तो नाम दिया है डुर्रा
खट-खट-खट-खट-खट खुर्रा
हट-हट-हट-हट-हट हुर्रा
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